भारत में वामपंथी विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कानपुर में 26 दिसंबर 1925 को हुई थी l बाद में 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अलग होकर मार्क्सवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बनी l इसके बाद पार्टी में और भी कई विभाजन हुए
कम्युनिस्टों से या उनकी विचारधारा से आपकी लाख असहमति हो लेकिन उनके द्वारा सार्वजनिक जीवन में सादगी और इमानदारी के जो प्रतिमान स्थापित किये वह अपने आप में प्रेरणास्पद है l विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण इन्हें हमेशा जोशीला बनाये रखता है l उनकी सादगी और सहज जीवन शैली का सबसे बड़ा उदाहरण त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री मानिक सरकार थे जिन्हें सबसे गरीब मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है l आज़ादी के बाद हुए तमाम घोटालो ,रिश्वतखोरी ,सेक्स स्केंडल ,दलाली , कमीशनखोरी ,भ्रष्टाचार में तामाम दलों के नेताओं के लिप्त होने की खबरें तो आपने बहुत सुनी होंगी लेकिन उसमे आज तक किसी कम्युनिस्ट नेता या कार्यकर्ता का नाम शामिल नहीं रहा l
कामरेड बादल सरोज कहते हैं कि "सारी पार्टियां एक जैसी हैं" का मंत्रोच्चार करने वाले ध्यान दें - मोदी को घूस देने वाले रिकॉर्ड की सुप्रीम कोर्ट में जमा 11 पन्नों की सहारा डायरी में भाजपा, कांग्रेस, जदयू, आरजेडी, सपा, एनसीपी, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, उत्तराखण्ड पार्टी, बीजेडी, भारतीय किसान यूनियन, शिव सेना, तृणमूल कांग्रेस सहित 18 पार्टियों के नाम हैं ।
मगर इस डायरी में किसी भी वामपंथी पार्टी या उसके नेता का नाम नहीं है ।
इसके पहले भी किसी हवाला सवाला डायरी में किसी लेफ्ट पार्टी का नाम नहीं था ।
आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्थापना दिवस पर सीपीआई ,सीपीएम एवं सभी कम्युनिस्ट कॉमरेडस को लाल सलाम l