एक दिन
बारा टांग के जरवा
अबूझमाड़ के गों
अचानक मार के बैगा निकलेंगे पर्यटन पर
सभ्य समाज बोले तो #सिविलाइज्ड_सोसाइटी को देखने
और अपने बच्चों को दिखाने ।
पलक झपकते पढ़ लेंगे
अपनी पैनी निश्छल तेज नजरों से सबका मन
और
लकदक कपड़ों, चिकने चुपड़े चेहरों और महंगे आभूषणों के पीछे छुपे
कुत्सित, वासनासिक्त भावों
कृत्रिम मुस्कान और नकली मुस्कान के साथ बोले जा रहे
खोखले प्रांजल बोल वचनों
शिष्टाचाराभिव्यक्ति के ढोंग के समय
मन में घुमड़ते नफ़रत के उतार चढ़ावों को देखकर
हतप्रभ रह जाएंगे।
घिन के मारे नीची कर लेंगे अपनी निगाहें
हथेलियों से ढाँप देंगे अपने बच्चों की आँखे
और
ताबड़तोड़ लौट जायेंगे अपने जंगल -
भागते भूगते अपने ठीये पर पहुँचते ही सबसे पहला काम करेंगे
सभी शहरों और सभ्यों की बसाहटों को
वस्त्रधारी हिंसक, ईर्ष्यालु और असभ्य बनैले प्राणियों से भरा
सर्वथा वर्जित और सर्वदा के लिए
प्रतिबन्धित क्षेत्र घोषित करना।
(अण्डमान के #जिरका_टांग और #बाराटांग के बीच के जंगलों में दुनिया की एक विशिष्ट जनजाति प्रजाति #जरवा रहती है। समूचे विश्व में कभी मनुष्यों - सेपियन्स- की कोई एक सौ से अधिक प्रजातियां हुआ करती थीं। कहते हैं कि अब इनमे से एक #होमो_सेपियन्स मतलब हम लोगों जैसे बचे हैं और दूसरे जरवा हैं। इनकी जीन्स बाकी प्रजातियों से भिन्न है।
● इन जरवाओं को देखना होमो सेपियन्स की खाती पीती औलादें पर्यटन मानती हैं और अंडमान जाकर, प्रति दिन प्रति व्यक्ति कुछ हजार रूपये का खर्चा कर, आगे पीछे बन्दूकधारी पुलिस वाहनों से सील्ड सैकड़ों गाड़ियों के सुरक्षित कॉन्वॉय में इस इलाके को "घूमने" और जरवाओं को "देखने" जाती हैं।
● होमो सेपियन्स के इस दुष्ट पर्यटन और इस दौरान इन सहज जनजाति के साथ छेड़छाड़ तथा नेशनल हाईवे बनाने सहित तथाकथित "विकास" ने जरवाओं को अत्यंत असुरक्षित बना दिया है। प्रकृति के इन प्यारे वंशजों को लगभग विलुप्ति के कगार पर पहुंचा दिया है।
● सात जनवरी 2020 को ऐसे ही एक कारवाँ में शामिल होने का अवसर मिला ; "सभ्यों" की लिप्सा से क्षुब्ध होकर आये यह भाव उसी दिन जिरका टांग में चाय पीते समय दर्ज किये थे।
#फोटो गूगल से उठाये हैं क्योंकि जरवा स्त्री-पुरुष और बच्चे इतने समझदार तो हो ही गए हैं कि अब वे सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक - जब तक शरीफों का पर्यटन होता है तब तक अपने इलाके में बाहर नहीं निकलते। )
#कैवियट ; हम जरवाओं को देखने नहीं, समन्दर में बनी चूने की गुफाएं लाइम स्टोन केव्स देखने गए थे, जिनका जमीनी रास्ता बाराटांग से होकर गुजरता है ।
बादल सरोज