केंद्र सरकार की जन विरोधी नीति श्रमिक विरोधी नीति कर्मचारी विरोधी नीति के खिलाफ ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल संपन्न

 


 छिंदवाड़ा- 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आव्हान पर केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीति कर्मचारी विरोधी एवं जन विरोधी नीतियों के खिलाफ छिंदवाड़ा में विभिन्न संगठनों ने मानसरोवर कांप्लेक्स छिंदवाड़ा के  सामने एकत्रित होकर प्रदर्शन किया दोपहर 1:00 बजे से बड़ी संख्या में विभिन्न कर्मचारी संगठन जिसमें बीएसएनल डाक एवं बीमा कर्मचारी दवा प्रतिनिधि बैंक कर्मचारी फेडरेशन के कर्मचारी के साथ ही इस हड़ताल को समर्थन देने हिंद मजदूर किसान पंचायत केंद्र एवं राज्य सरकार के पेंशनर्स प्रगतिशील नागरिक राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार संगठन एवं महाकोशल संपादक संघ ठेका श्रमिक संगठन प्रगतिशील जनप्रतिनिधि एवं बुद्धिजीवियों ने धरना स्थल पर उपस्थित होकर सरकार की जनविरोधी नीतियों का खुलकर विरोध किया शामिल विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हुए चार लेबर कोड, कमरतोड़ महंगाई बेरोजगारी ,निजीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेका प्रथा, फिक्सटर्म निर्माण मजदूरों के कानूनों को खत्म करने के खिलाफ सरकार की तीखी आलोचना की इस अवसर पर दवा प्रतिनिधियों के संगठन के  कामरेड सलिल शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार श्रमिक संगठनों कर्मचारी संगठनों पर दबाव बनाकर ऐसी नीति तैयार कर रही है जिससे इन कर्मचारियों का दमन हो रहा है और कर्मचारियों ने श्रमिक संगठनों ने लंबे समय तक संघर्ष कर जो अधिकार प्राप्त किए थे उन अधिकारों को एक झटके में समाप्त करने का काम केंद्र की मौजूदा सरकार ने किया है जिसका हर स्तर पर विरोध होना चाहिए बीएसएनएल कर्मचारी संगठन के साथी प्रकाश एवं वी आर दबन्डे  ने कहा कि बीएसएनएल में 80000 कर्मचारियों को सेवा से मुक्त कर इसकी परिसंपत्तियों कारपोरेट घराने को देने की साजिश को अंजाम दिया जा रहा है और कर्मचारियों को वीआरएस लेने के लिए सरकार मजबूर कर रही है बीएसएनएल में भय का वातावरण पैदा हो गया है और कर्मचारी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा यह बहुत भयानक स्थिति है हिंद मजदूर किसान पंचायत मध्य प्रदेश के महासचिव डीके प्रजापति ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार एक सुनियोजित साजिश के तहत कार्पोरेट्स के इशारे पर श्रमिक हितों पर कुठाराघात करने का काम लगातार करती आ रही हैयह सरकार कार्पोरेट्स परस्त सरकार है और केंद्र सरकार की यह नीति है कि वह इस देश में धीरे धीरे पब्लिक सेक्टर को तबाह करने पर तुली  है यदि समय रहते हुए विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर सरकार की जन विरोधी एवं कर्मचारी विरोधी नीतियों का सड़क पर आकर खुलकर विरोध नहीं किया तो आने वाला समय और भी ज्यादा भयानक होगा और कर्मचारियों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा जिसकी शुरुआत बीएसएनल के माध्यम से हो चुकी हैबैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन की और से कामरेड सेनगुप्ता ने बेंको के विलीनीकरण एवं कर्मचरियो की अवैधानिक छटनी का विरोध करते हुए कहा की सरकार की यह मंशा है की वह बेंको भी अब कार्पोरेट्स के हाथो बेचना चाहती है  पेंशनर संगठन की तरफ से उपस्थित कामरेड वीरेंद्र सांधेलिया ने कहा कि अब यह मजबूरी हो चुकी है कि तमाम श्रमिक संगठनों को कर्मचारी संगठनों को राजनीति के लिए रास्ता खोलना पड़ेगा और राजनीति में सीधा हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है क्योंकि यह हमारी गलती थी कि हम राजनीति से दूर रहते आए हैं और जिन जनप्रतिनिधियों को हमने चुनकर विधानसभा एवं संसद में भेजा वे लगातार श्रमिक विरोधी नीति कर्मचारी नीतियां  बनाकर कर्मचारियों के हितों पर डाका डालने का काम कर रहे हैं कामरेड धन्ना लाल यादव ने कहा कि यह सरकार अडानी और अंबानी के इशारे पर देश के 130 करोड़ लोगों के हितों पर कुठाराघात कर उनका जीना हराम कर रही है इस सरकार की गलत नीतियों से ना केवल आम जनता परेशान है बल्कि मजदूर किसान और कर्मचारी भी परेशान है हर तरफ बेकारी बेरोजगारी का वातावरण व्याप्त है और सरकार कर्मचारियों से उनकी नौकरी छीन लेने पर आमादा है यह इस देश की बहुत भयानक स्थिति है कर्मचारी अभी भी नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जब उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा और उसके बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा पोस्ट एंड टेलीग्राफ की और से कामरेड राजपूत ने कहा की यह एकता लगातार दिखनी चाहिए क्योंकि खतरा अब सभी कर्मचरिओ पर मंडरा रहाहै जो भी सरकार रही हे उन्होंने सिर्फ कर्मचारीओ का दमन ही किया है यह सरकार भी यही कर रही हे बल्कि इसका दमन चक्र बहुत खतरनाक है आपके बच्चो के सामने अब रोजी रोटी का संकट पैदा किया जा रहा है कामरेड महेश सोनी ने कहा कि सरकार जितने भी फैसले ले रही है  सभी किसान मजदूर श्रमिक एवं कर्मचारी विरोधी फैसले हैं जिससे आम जनता तो परेशान हो ही रही है कर्मचारियों का उनके कार्यालयों में काम करना मुश्किल हो गया है जिस तरह बीएसएनएल में चार चार माह से कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है और उन्हें भी वी आर एस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है यह एक सोची समझी साजिश का परिणाम है कि किसी भी तरह बीएसएनएल को बर्बाद कर अडानी और अंबानी के हाथों में बेचा जाए जिसकी शुरुआत हो चुकी है यही क्रम अब अन्य विभागों के कर्मचारियों पर भी प्रारंभ होगा यदि अभी भी कर्मचारी संगठन सरकार की इस साजिश को समझने में कामयाब नहीं होते हैं वह दिन दूर नहीं जब अन्य विभागों के कर्मचारियों की छटनी भी बीएसएनएल के आधार पर होगी और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी इसलिए समस्त कर्मचारी संगठनों किसान मजदूरों बुद्धिजीवियों और आम नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे इस केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों का खुलकर सड़क पर विरोध करें और इस सरकार को कर्मचारी श्रमिक एवं जनता के हित में निर्णय लेने के लिए बाध्य करने का काम पूरी ताकत के साथ करें