इक़बाल_मैदान
दोपहर से देर रात तक डटे रहे हजारों लोग
भोपाल। "आरएसएस कितने भी गुंडे आयरन रॉड्स लेकर जेएनयू भेज दे, जामिया के विद्यार्थियों पर गोली चलाने हमलावर भेज दे, देश के युवा अशफ़ाक़ुल्ला खान की परम्परा के हैं, वे आँखों में आँखें डालकर मुकाबला करेंगे, वे डरने वाले नहीं हैं, हिन्दुस्तान डरने वाला नहीं है। " बहादुरी से भरे एलान के साथ दोहराये गए इस संकल्प से जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्षा #आइशे_घोष ने भोपाल के इक़बाल मैदान की विशाल जनसभा को संबोधित किया।
● उन्होंने कहा कि जेएनयू और देश के छात्रों ने हक़ के लिए लड़ना देश के मेहनतकशों से सीखा है। हर दमन सहते हुए पैदल लॉन्ग मार्च उसने किसानो से सीखा है। रोहित वेमुला के जन्म दिन पर उन्हें याद करते हुए आइशे ने कहा कि उन्हें इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे मेधावी दलित छात्र थे और पढ़ाई के साथ सबके हक़ की लड़ाई भी लड़ रहे थे - रोहित की शहादत के बाद भी लड़ाई रुकी नहीं है ।
● उन्होंने याद दिलाया कि जिस तरह 1857 के बाद अंग्रेजों ने भारतीय जनता में फूट डालने की नीति अपनाई थी उसी तरह मोदी अपना रहे हैं। अगर पढ़े लिखे लोगो ने यह नहीं पहचाना कि मोदी और हिटलर में कोई फर्क नहीं है तो उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाएगी। ये आजादी के नारे से उसी तरह डरते हैं जैसे अंग्रेज डरते थे क्योंकि आज़ादी की लड़ाई से इनका रिश्ता अंग्रेजो से माफी मांगने के सिवाय कुछ है ही नहीं ।
● आइशे घोष ने सीएए और एनआरसी को हिन्दू मुसलमान का सवाल बनाने की साजिश का पर्दाफ़ाश करते हुए याद दिलाया कि असम की एनआरसी में बाहर रह गए 19 लाख में 13 लाख से ज्यादा तो हिन्दू हैं। उन्होंने कहा कि इनके नारे झूठे है। कल तक बेटी बचाओ और तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के हमदर्द बनने का नाटक करने वाले मोदी और उनके लोग आज दिल्ली के शाहीन बाग़ से लखनऊ के घण्टाघर और भोपाल के इक़बाल मैदान सहित देश भर में सत्याग्रह कर रही महिलाओं के खिलाफ जहर उगल रहे हैं ।
● मौजूदा लड़ाई को संविधान बचाने की लड़ाई बताते हुए उन्होंने कहा कि पूरी तरह जीतने तक इस संघर्ष रखना होगा। जिस तरह अम्बेडकर साब के साथ इस संविधान को बनाने में 15 महिलाओं का भी योगदान रहा है उसी तरह इसे बचाने में भी वे बढ़चढ़कर भूमिका निबाह रही हैं।
● सभा को संबोधित करते हुए दिल्ली से आयी पत्रकार आरिफा खानुम शेरवानी ने दिन में जामिया के जलूस पर चली गोली को आतंकी कार्यवाही बताया। गांधी, गोरख पाण्डे, अल्लामा इक़बाल की रचानाओं के हाल उन्होंने कहा कि यदि संविधान बचा तो ही गीता और कुरआन भी बचेंगी।
● सभा को जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र नेता जाकिर और चन्दा ने भी संबोधित किया।
● जनांदोलनों की नेता मेधा पाटकर ने कहा कि जिस तेजी से आइशे घोष से लेकर देश भर में युवा नेतृत्व उभर रहा है उससे साफ़ हो गया है कि देश का भविष्य अच्छा है।
● 27 दिन से जारी सत्याग्रह की इस सभा में बीसियों वक्ता बोले। सभा का मुख्य प्रस्ताव संध्या शैली ने रखा। आशा मिश्रा और सत्यम पाण्डेय के संचालन में हुयी इस सभा को श्रमिकों की ओर से प्रमोद प्रधान, महिलाओं की तरफ से नीना शर्मा, साहित्यकारों की ओर से मनोज कुलकर्णी, किसानो की तरफ से प्रह्लाद वैरागी सहित जनता के विभिन्न तबकों के नुमाइंदों ने संबोधित किया। शुरुआत में ही विजय कुमार ने आयोजन की रूपरेखा और सत्याग्रह के बारे में जानकारी रखी।
● सभा में अनेक धर्मगुरु, मंजर भोपाली सहित कई शायर और कवि, शिक्षाविद बोले। दर्जनों सांस्कृतिक समूहों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।
● दोपहर 2 बजे से देर रात तक चली सभा के अध्यक्ष मण्डल में वरिष्ठ कवि साहित्यकार कुमार अम्बुज, शिक्षाविद अनिल सदगोपाल, मेधा पाटकर तथा संध्या शैली शामिल थे।
साभार -लोक जतन