मकर संक्रांति

जब सूर्य मकर राशि पर आता है 
तभी मकर संक्रान्ति पर्व मनाया जाता है।
----------------------------------------------------
पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी मकर संक्रान्ति पर्व को मनाया जाता है। यह स्थिति जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही आती है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होना माना जाता है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। (वास्तविकता मे उत्तर गोलार्ध के संदर्भ से सूर्य की उत्तर गति 21/22 दिसम्बर को ही प्रारम्भ हो जाती है, जब दिन सबसे छोटा होता है और उसकी स्थिति आर्किटिक वृत्त पर होती है।)


वर्ष मे दो बार 20/21 मार्च तथा 22/23 सितंबर को सूर्य विषुवत वृत्त पर होता है, जब दिन और रात की अवधी समान होती है।


सूर्य अपनी सबसे उत्तर स्थिति की स्थिति मे 21/22 जुन को होता है जब दिन की अवधि सबसे ज्यादा होती है और रात की लघुतम


मकर संक्रांति से लेकर कर्क संक्रांति के बीच के छः मास के समयान्तराल को उत्तरायण कहते हैं। 'उत्तरायण' smile emoticon उत्तर + आयण) का शाब्दिक अर्थ है - 'उत्तर में आना', अर्थात् सूर्य का उत्तर में आना या सूर्य का ठीक पूर्व से न निकलकर थोड़ा उत्तर दिशा से निकलना। इसके विपरीत कर्क संक्रांति से लेकर मकर संक्रांति के बीच के छः मास के काल को दक्षिणायण कहते हैं।


उत्तरायण का आरंभ 14 जनवरी (या कभी-कभी 15 जनवरी) को होता है। उत्तरायण के बाद दक्षिणायण का आरंभ 15 जुलाई को होता है (विज्ञान विश्व)