लोकतांत्रिक संस्थाओं में औरतों को नियंत्रण में रखने के लिए मौजूदा सरकार कितनी बेचैन है.

आजमगढ़ के बिलियारगंज में मुस्लिम औरतों और बच्चों के ऊपर लाठियां बरसाने वाली और शाहीन बाग़ में रोज़ आजादी के नारे लगाने वाली औरतों के ऊपर लाठी बरसाने के मंसूबे बनाने वाली भारत उर्फ बीजेपी सरकार, इन सब कारनामों के बीच औरतों का दोयम दर्जा भारत में कंक्रीट कैसे हो, इसके लिए रात दिन मुस्तैदी से हर लोकतांत्रिक संस्था पर काम कर रही है.


Metoo के मामलों की अदालती कार्यवाही को अगर ध्यान से देख रहे हैं, तो बाकी यौन शौषण के मामलों में दिए जा रहे न्याय कि बदलती कार्य प्रणाली को गौर से देखिए, लोकतांत्रिक संस्थाओं में औरतों को नियंत्रण में रखने के लिए मौजूदा सरकार कितनी बेचैन है.



आप इस बात से सहमत हों या असहमत, अपने अंदर के तर्क को टटोलने के लिए इस न्यूज को ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए जहां सरकार ने मिलिट्री में कमांडर के पद पर औरतों को नियुक्त ना किया जाए इसके लिए गजब का सामाजिक आर्थिक विश्लेषण, अपनी दलील के तौर पर पेश किया है.


रिपोर्ट देखिए और सोचिए कहीं आप भी तो सरकार की दलीलों, तहरीरों में छिपी औरतों पर पुरुष नियंत्रण और वर्चस्व कि मंशा से सहमत तो नहीं है.


क्योंकि बीजेपी की ये दलील अपने अंदर के सच को देखने का एक लेंस बन सकती है. आपका जेंडर इसमें ज्यादा दखल नहीं रखता.