नर्मदा घाटी के विस्थापितों को उनका हक जल्द से जल्द मिले समाजवादी समागम


सी.ए.ए  निरस्त करने के कैबिनेट के संकल्प का समाजवादी समाग ने किया स्वागत।
1000 करोड़ किसानों से कर्ज़ वसूली का किया जाएगा सड़को पर विरोध।


गांधी जी की 150वीं जयंती और समाजवादी आंदोलन के 85 वर्ष पूरा होने के अवसर पर  स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजवादी आन्दोलन एवं संवैधानिक मूल्यों की स्थापना हेतु निकली भारत जोड़ो - संविधान बचाओ, समाजवादी विचार यात्रा के आंठवे दिन की शुरुआत झाबुआ बस स्टैंड पर स्थित तात्या भील तथा गांधीजी के मूर्तियों पर मालार्पण के साथ हुई। झाबुआ से निकलकर यात्रा नर्मदा घाटी पहुंची जहां मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन और सेंचुरी के साथियों ने यात्रियों का स्वागत किया।


नर्मदा घाटी में यात्रियों ने कुक्षी तहसील के डूब क्षेत्र में निसरपुर, कडमाल, खापरखेड़ा, चिखलडा, नर्मदा नगर जैसे विस्थापितों के मुलगाव में डूब के चलते मची तहस नहस को देखा। पूरे गांव ख़तम हो चुके है, आज भी उनका कानूनी पुनर्वास नहीं हुआ है।


इसके बाद नर्मदा नगर के टीनशेड में 'हम भारत के लोग' के बैनर तले सभा का आयोजन हुआ। नर्मदा नगर में यात्रा के प्रमुख अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि देश भर में इस यात्रा के माध्यम से समाजवादी विचारों को आगे बढ़ाने का कार्य किया जाएगा। यह यात्रा सभी को एकजुट करने का काम करेगी। 


डॉ. सुनीलम जी ने कहा कि सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों का संपूर्ण पुनर्वास नहीं किया गया है। यह यात्रा 21 मुद्दों को लेकर चल रही है। किसानों की आय घटती जा रही है, किसानों की फसल का सही दाम नहीं दिया जा रहा है, किसानों का कर्जा माफ़ भी नहीं किया जा रहा है। 2020 के बजट को डॉ. सुनीलम ने किसान विरोधी बताते हुए कहा कि सरकार ने भारत के खाद्यान निगम को आवंटित करने वाली राशि को 1.51 करोड़ से घटाकर 75 करोड़ कर दिया है। यह बदलाव किसानों को निजी व्यपारियों की दया पर छोड़ देगा और सरकार के खाद्यान खरीदने की प्रक्रिया को ठेस पहुंचाएगा, जिससे किसानों को दाम नहीं मिलेगा और आत्महत्याएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर विनाश हो रहा है। हम गांधीजी के विचारों को इस देश में समाप्त नहीं होने देंगे और उसके लिए सभी को हिंसा से परहेज करना होगा। डॉ. सुनीलम ने कहा कि अखबारों के माध्यम से मालूम हुआ है कि 87 हज़ार किसानों से 1000 करोड़ की वसूली जिला सहकारी बैंको के माध्यम से की जाएगी। डॉ. सुनीलम ने कहा कि कर्ज़ वसूली का विरोध सड़कों पर किया जाएगा। उन्होंने सरकार से किसानों का कर्ज़ा माफ करने की मांग की।


मेधा पाटकर जी ने कहा कि सरकार के द्वारा सीएए, इनआरसी और इनपीआर रद्द किया जाये। हम भारत के लोग एक साथ जुड़कर लड़ रहे है। उन्होंने नर्मदा घाटी के विस्थापितों के बारे में बात करते हुए कहा कि यहां आज भी हजारों परिवारों का पुनर्वास करना बाकी है। सनोवार बाई मंसूरी ने कहा कि हमारे गांव ख़त्म हो चुके हैं। आज भी पात्र परिवारों का पुनर्वास नहीं हुआ है। वाहिद मंसूरी ने कहा कि हमारा विस्थापितों के लिए लड़ने का संघर्ष जारी रहेगा। आज भी नर्मदा घाटी के काफी सारे विस्थापितों को पात्रता होते हुए भी 60 लाख, 15 लाख रु जमीन का व मकान बनाने के लिए 5.40 लाख रु नहीं मिले हैं।


यात्री रोहन ने हाबिब जालिब की नज़्म 'दस्तूर', यात्री प्रमिला ने 'मानू तो मैं गंगा माँ हूँ' और सेंचुरी के मिश्रा जी ने 'जागो रे' गाके लोगों का उत्साह बढ़ाया। समापन समारोह में सभा ने संविधान की प्रस्तावना को साथ पढ़ा और जण-गण-मण गाया। सभा ने 2301 रुपये और सेंचुरी के श्रमिकों ने 1000 रुपये की आर्थिक सहायता यात्रा के लिए दी। 


समाजवादी विचार यात्रा के यात्रीगण पी.जे. जोसी (केरल), लोकेश भिवानी (हरियाणा), विजय हंगे (महाराष्ट्र), गणेश गोंदरे (महाराष्ट्र), स्वाति, प्रमिला और अंजना (उत्तराखंड), बाले भाई (राजस्थान), रोहन गुप्ता (झारखंड), रामस्वरूप मंत्री (इंदौर), लीलाधर चौधरी (देवास) ने भी सभा को संबोधित किया| 


डॉ. सुनीलम की ओर से मप्र के मुख्यमंत्री, कमलनाथ जी को एक खुला पत्र भेजा गया जिसमें सुनीलम जी ने उनसे अनुरोध किया कि वो विस्थापितों को उनके हक जल्द से जल्द दें। 


नर्मदा नगर से निकलकर यात्रा अली राजपुर बस स्टैंड पहुंची जहां बस स्टैंड में नुक्कड़ सभा हुई। उपस्थित लोगों ने 900 रुपये की आर्थिक सहायता समाजवादी विचार यात्रा को प्रदान की। अली राजपुर के बाद यात्री छोटा उदयपुर पहुंची|  


उलेखनीय है पहले चरण की यात्रा 16 राज्यों में होकर 23 मार्च को हैदराबाद में पूरी होगी। इस चरण में यात्रा 16 राज्यों से गुजरेगी। दूसरा चरण 11 अप्रैल को चंपारण से शुरू होकर 17 मई को पटना में पूरा होगा, इस दौरान 10 राज्यों की यात्रा की जायेगी। तीसरा चरण 11 अक्टूबर को सिताबदियारा (बलिया) से शुरू होकर 31 अक्टूबर को नरेंद्र निकेतन, दिल्ली में समाप्त होगा। समाजवादी विचार यात्रा हेतु देशभर में 500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। 


समाजवादी समागम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन एवं समाजवादी आन्दोलन के मूल्यों की पुर्नस्थापना के साथ-साथ देशभर के समाजवादी, गांधीवादी, सर्वोदयी, वामपंथी, अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़े जन आंदोलनकारियों, मानव अधिकारवादियों, पर्यावरणवादियों एवं सभी लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों को स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से एकजुट करना है।