अमेरिकी दबाव के चलते भारत में निर्मित होने वाली महत्वपूर्ण दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन अब भारत में मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है क्योंकि भारत ने अमेरिकी दबाव के कारण देश में बनने वाली इस महत्वपूर्ण दवा पर से निर्यात के प्रतिबंध को हटा दिया है और अमेरिका को इसकी आपूर्ति की जा रही है साथ ही जहां कोरोना संक्रमण से दुनिया के अनेक देश वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं वहीं भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन को कोरोना की संजीवनी के रूप में माना जा रहा है भारत में भी इसी दवा से इलाज किया जा रहा है परंतु यह खुराक कितनी देनी है यह डॉक्टर बताएंगे आईसीएमआर नी 11 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और 25 लाख एजिथ्रोमाइसिन टेबलेट कोरोना के इलाज में जुटे डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को मुहैया कराई है आईसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि यह दवा फ़िलहाल उन्हीं मरीजों को दी जा रही है जो आईसीयू में है या वेंटिलेटर पर है दवा कब और कितनी देनी है यह निर्णय इलाज में जुटे को लेना है पर कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीजों को यह दवा नहीं दी जा रही है
विडंबना यह है कि जिन मरीजों को इस दवा की अपने इलाज में सख्त आवश्यकता है उन मरीजों को यह दवा नहीं मिल पा रही है जिससे उनका जीवन संकट में आ गया है इस बात का खुलासा मशहूर कवियत्री मीना नकवी ने सार्वजनिक करते हुए अपनी पीड़ा का दर्द बयान किया है। देश की मशहूर कवत्री मीना नकवी जो फेफड़ों के कैंसर से लड़ रही हैँ... वो ख़ुद भी हाईड्रोक्सीकलोरोक्वीन का इस्तेमाल करती हैं, जो कमी के चलते नहीं मिल पा रही है... उनके अनुसार आज हाईड्रोक्सीकलोरोक्वीन की हमे अधिक आवश्यकता है, ना कि किसी और देश को... प्रसिद्ध कवियत्री मीना नकवी की इस पीड़ा को अपनी फेसबुक वाल पर प्रगतिशील साथी हुमा नकवी ने टिप्पणी करते हुए लिखा है कि .....वास्तव में यह विदारक है...