ll श्रमेय जयते ll
--------------------
मजदूरों के हक़ में अच्छी खबर
--------------------------------------
आज की यह अच्छी ख़बर है कि उ.प्र. सरकार श्रमिकों के मामले में थोड़ा पीछे हटी है। श्रम घंटे 8 से 12 करने सहित अन्य कुछ मामले के बदलाव की अधिसूचना कल 15 मई को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष लगभग समर्पण कर दिया है।
दरअसल हुआ यह कि उ.प्र. वर्कर फ़्रंट नामक श्रमिक संगठन ने श्रमिक क़ानून में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गये बदलाव के विरुद्ध एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय इलाहाबाद पीठ में दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को 18 मई को जबाव देने की सूचना भेजी। सूचना पाते ही आनन- फ़ानन में विवादित अधिसूचना को निरस्त कर, अपने अधिवक्ता को पत्र लिखा कर अधिसूचना निरस्त बावत् जानकारी न्यायालय को प्रदान करने का निर्देश दिया है।
इसके माने यह है कि श्रमिक क़ानून में बदलाव निरस्त हो गया है। अब पुराना क़ानून पुन: अस्तित्व में आ गया है।
अब श्रमिकों को आठ घंटे से ज़्यादा काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
लगता है कि पैदल निकल पड़े अभागे लोग जिन्हें सरकार मज़दूर मानने तक से इंकार कर रही है , इनकी “पैदल यात्रा “ से सरकारें घबरा गयीं हैं। यदि ये “ पद यात्रायें “ नहीं होती तो हमारा भारत मज़दूरों के दर्शन से वंचित रह जाता। इन पैदल यात्रा का राजनीतिक दबाव सरकारों पर महसूस होने लगा है।
बहुचर्चित नेताओं के बिना जारी पद यात्रायें
भारत की आत्मा में रूपांतरित हो गयी है।
श्रम की जीत का अभिनंदन।
★ विनय कुमार मौर्य
प्रधान संपादक
समानता साप्ताहिक . पिपरिया
@ Vinay Kumar Maurya