यह #दुर्गा_भाभी हैं वही दुर्गा भाभी जिन्होंने #साण्डर्स मडर
के बाद #राजगुरू और #भगतसिंह को लाहौर से अंग्रेजो की नाक के नीचे से निकालकर कोलकत्ता ले गयी।
इनके पति महान क्रन्तिकारी #भगवती #चरण वर्मा की पत्नी थी जब भगवती भाई का बम फटने से देहांत हो गया।
तब दुर्गा भाभी ने अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए पंजाब प्रांत के एक्स गर्वनर #लॉर्ड_हैली पर हमला करने की योजना बनाई, दुर्गा ने उस पर 9 अक्टूबर 1930 को बम फेंक भी दिया, हैली और उसके कई सहयोगी घायल हो गए, लेकिन वो घायल होकर भी बच गया। उसके बाद दुर्गा बचकर निकल गईं। लेकिन जब मुंबई से पकड़ी गईं तो उन्हें तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया। बताया तो ये भी जाता है कि चंद्रशेखर आजाद के पास आखिरी वक्त में जो माउजर था, वो भी दुर्गा भाभी ने ही उनको दिया था।
जब वो जेल से रिहा हुई तो उनको अंग्रेजो ने परेशान करना शुरू कर दिया और जिससे परेशान होकर वो गाजियाबाद निकल गयी और फिर वहां से लखनऊ निकल गयी और वहां उन्होंने मांटेसरी स्कूल खोला और आजीवन उसमे पढ़ाती रही।
और गुमनाम हो गयी क्योकि जिस आज़ादी की कल्पना उन्होंने और बाकि क्रान्तिकारियों ने की थी वो भारत तो बिल्कुल कही भी दिखाई नही दिया। इसलिए वो गुमनाम हो गयी।
जब 1956 में नेहरू ने उनको मदद का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने इंकार कर दिया।
14अक्टूबर 1999 में वो इस दुनिया से गुमनाम ही विदा हो गयी कुछ एक दो अखबारों ने उनके बारे में छापा बस।
आज #आज़ादी के 70 साल के बाद भी न तो उस विरांगना को इतिहास के पन्नों में जगह मिली और न ही वो किसी को याद रही।चाहे वो सरकार हो या जनता।
एक स्मारक का नाम तक उनके नाम पर नही है कहीं कोई मूर्ति नही है उनकी।
सरकार तो भूली ही जनता भी भूल गयी।
ऐसी वीर वीरांगनाओं को हम शत शत नमन करते है और भविष्य मे ऐसे तमाम वीरों को सम्मान दिलाने के लिये प्रयासरत रहेंगे ।।
Vijendar dahiya