आज भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब की पुण्यतिथि है । ऐसे में एक खबर अायी कि उनके घर को तोड़कर व्यावसायिक इमारत बनाई जा रही है । अचानक संस्कृति के रक्षकों और उस्ताद के चाहने वालों की नींद टूटी और हाहाकार शुरू हुआ। इनमें से कितने लोग हैं जिन्होंने उस्ताद के जाने के बाद उनके परिवार की सुध ली है ? चाहे परिवार भूखा मर जाए लेकिन इमारत बचनी चाहिए । उस्ताद का परिवार उनकी जीती जागती स्मृति है जो बचाना चाहते हैं वे उस मुसीबत झेल रहे परिवार को पहले बचाएं इमारत बाद में बचाएं । सरकार हो या प्रशंसक किसी के पास यह हक नहीं है कि किसी मशहूर शख्सियत की यादें बचाने के लिए उसके परिवार के मुंह से निवाला छीन ले । बचाने वाले उनके परिवार को पूरा मुआवजा देकर उनकी बेहतर ज़िंदगी का इंतजाम करके फिर इमारत को यादगार बनाएं तो श्रद्धांजलि में सचमुच श्रद्धा होगी वरना ढोंग तो कई चल रहे हैं ये भी उनमें एक और होगा ।
- अशोक जमनानी
भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान