व्यक्तित्व कृतित्व...श्री संतराम प्रजापति



संतराम बी.ए.


जाति - पाँति का खूब विरोध किए.....खूब जिए....खूब लिखे.....


छोटी - बड़ी 100 किताबें लिखीं ....101 साल जिए....


प्रेमचंद ने खुद जिनकी पुस्तक " काम - कुंज " का संपादन किया.....


राहुल सांकृत्यायन ने खुद जिनका संस्मरण " जिनका मैं कृतज्ञ " में लिखा.....


बाबा साहब अंबेडकर ने खुद जिनकी चिट्ठियों को " एनिहिलेशन आॅफ कास्ट " में शामिल किया.....


विलक्षण व्यक्तित्व संतराम, बी. ए.


अल बेरुनी के भारत को हिंदी में पहली बार परिचय कराने का श्रेय इन्हें है....


तीन खंडों में अनुवाद प्रस्तुत किए....वो भी तब, जब अभी छायावाद जन्म ले रहा था....


मातृभाषा पंजाबी थी....फारसी में ग्रेजुएट थे.....अरबी पढ़ते थे.....अंग्रेजी पढ़ते थे .....हिंदी पर मजबूत पकड़ थी....


1925 तक चीनी बौद्ध यात्री इत्सिंग की भारत - यात्रा का किसी भी भारतीय भाषाओं में अनुवाद नहीं हुआ था....


इसे पहली बार हिंदी में अनूदित करने का श्रेय इन्हें है.....


अलग-अलग भाषाओं के हजारों पन्ने अनूदित किए.....हजारों पन्ने लिखे.....अलग-अलग विधाओं में लिखे.....


संतराम बी. ए.
खूब जिए
खूब लिखे
जाति - पाँति का खूब विरोध किए
खुद जाति - पाँति का शिकार हुए
साहित्य में, इतिहास में वो जगह नहीं मिली
जिसके हकदार थे
इसीलिए कि कुम्हार थे......


डॉ.संतोष छापर,
जोधपुर, राजस्थान, भारत.