अभी कुछ लोग बाकी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं !
भोजपुरी मेरी मातृभाषा है। हिन्दी शिक्षा और सामाजिक संपर्क की भाषा। अंग्रेजी मेरे लिए विज्ञान, तकनीक ओर उच्च शिक्षा की भाषा है। मेरे मन में सभी भाषाओं के लिए सम्मान है। लेकिन मुहब्बत की भाषा ? मुहब्बत की भाषा मेरे लिए बेशक़ उर्दू है। ऐसी भाषा जिसे सुनते ही दिलों में नाज़ुकी तैर जाती है और हवा में ख़ुशबू। जो तहज़ीब, बांकपन और दिलों में उतर जाने की अदा उर्दू में है, वह और कहां ? अफ़सोस होता है यह देखकर कि भारत में जन्मी और हिन्दी की सगी बहन कही जाने वाली मुहब्बत की यह भाषा आज अपने वतन में उपेक्षा झेल रही है। मज़हबी कट्टरता ने एक ही बोली से निकली उर्दू को मुसलमानों की और हिंदी को हिंदुओं की भाषा बना दिया। आज विश्व उर्दू दिवस (9 नवंबर) पर उर्दू के प्रेमी सभी दोस्तों को
, बशीर बद्र साहब के इस शेर के साथ!
बधाई
, बशीर बद्र साहब के इस शेर के साथ!
वो इत्र-दान सा लहजा मिरे बुज़ुर्गों का
रची-बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुश्बू !
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